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राजस्थान के सीएम ने किया बड़ा ऐलान, अब SP की स्वीकृति से ही होगी चिकित्सक की गिरफ्तारी, नोटिस जारी 

 
 

Rajsthan News: राजस्थान के एक अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ने वाले डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग को लेकर रोजाना हो रहे विरोध प्रदर्शन को लेकर राजस्थान सरकार गंभीर हो गई है। गृह विभाग ने गुरुवार को ऐसे मामलों की जांच के लिए एसओपी जारी की।

इसके अलावा, यदि मामला गंभीर प्रकृति का भी हो तो भी पुलिस थाने को डॉक्टर की गिरफ्तारी के लिए संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक या पुलिस उपायुक्त से अनुमति लेनी होगी। वहीं दूसरी ओर चिकित्साकर्मी ऐसे मामलों में अपनी मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार जैसा कदम नहीं उठा सकेंगे। हालांकि, वे अपनी बात राज्य सरकार तक पहुंचाने में सफल रहेंगे।

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चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा के मानक भी तय केंद्र सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स की अनुशंसा पर गृह विभाग द्वारा जारी एसओपी में चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा के मानक भी तय कर दिए गए हैं। इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग को उन बड़े स्वास्थ्य संस्थानों की पहचान करनी होगी जहां सुरक्षा की आवश्यकता है। एसएचओ को नियमित गश्त करनी होगी और सुरक्षा पर निगरानी रखनी होगी।

पुलिस तत्काल एफआईआर दर्ज नहीं करेगी इस बीच, पुलिस अपने कर्तव्यों का पालन करते समय किसी डॉक्टर या चिकित्साकर्मी द्वारा की गई चिकित्सा लापरवाही की रिपोर्ट पर तत्काल एफआईआर दर्ज नहीं करेगी। पुलिस अधिकारी इसे डायरी में दर्ज करेगा। यदि मामला मृत्यु से संबंधित है तो पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी करानी होगी। जांच अधिकारी को 14 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच करनी होगी। एक स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड से निष्पक्ष राय प्राप्त की जानी चाहिए। जांच के दौरान सबूत मिलने पर ही एफआईआर दर्ज की जाएगी। चिकित्सकों के बोर्ड को संबंधित अभियोग से संबंधित विषय का विशेषज्ञ होना चाहिए।

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छह घंटे के भीतर दर्ज करनी होगी एफआईआर एसओपी के अनुसार, हिंसा के मामले में चिकित्सा संस्थान के नोडल अधिकारी द्वारा दर्ज की गई एफआईआर छह घंटे के भीतर दर्ज करनी होगी। जांच अधिकारी को ऐसे मामलों में शीघ्र जांच कर आरोपी को गिरफ्तार करना होगा तथा चिकित्सा संस्थान में आवश्यक सुरक्षा उपाय भी करने होंगे।