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राजस्थान में दिव्यांग युवक को नहीं मिला आरक्षण, कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने भर्ती की नियुक्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन रखा है. सीएम एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश पंकज कुमार खियानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. एक हाथ और पांव से दिव्यांग होने के बाद भी नहीं मिला आरक्षण का लाभ याचिका में अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 5 मई, 2023 को फार्मासिस्ट के 2859 पदों पर भर्ती निकाली, जिसमें दिव्यांगों को 4 फीसदी आरक्षण देते हुए 111 पद आरक्षित रखे गए. 
 
राजस्थान में दिव्यांग युवक को नहीं मिला आरक्षण, कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही अदालत ने भर्ती की नियुक्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन रखा है. सीएम एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश पंकज कुमार खियानी की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. एक हाथ और पांव से दिव्यांग होने के बाद भी नहीं मिला आरक्षण का लाभ याचिका में अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने 5 मई, 2023 को फार्मासिस्ट के 2859 पदों पर भर्ती निकाली, जिसमें दिव्यांगों को 4 फीसदी आरक्षण देते हुए 111 पद आरक्षित रखे गए. 

वहीं, यह शर्त लगाई गई कि केन्द्र सरकार की ओर से 4 नवंबर, 2021 को जारी गजट नोटिफिकेशन में दर्शाये दिव्यांग वर्ग को ही इसका लाभ मिलेगा. याचिका में कहा गया कि वह एक हाथ और एक पांव से दिव्यांग है, लेकिन केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन में इस वर्ग के दिव्यांगों को फार्मासिस्ट भर्ती में आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है, जबकि होम्योपैथी में फार्मासिस्ट कम क्लर्क के पदों पर दिव्यांग के इस वर्ग को आरक्षण का लाभ दिया गया है और उनका काम भी सामान्य फार्मासिस्ट के समान ही होता है. याचिका में केन्द्र सरकार के इस नोटिफिकेशन को चुनौती देते हुए कहा गया कि यह नोटिफिकेशन समानता के अधिकार की अवहेलना करता है. 

एक समान लोगों पर अलग-अलग नियम लागू नहीं किया जा सकते हैं. वहीं, एक पांव और एक हाथ से दिव्यांग व्यक्ति फार्मासिस्ट का काम आसानी से कर सकता है. इसलिए केन्द्र सरकार के इस नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए और याचिकाकर्ता को फार्मासिस्ट पद पर नियुक्ति दी जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए नियुक्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन रखा है.