राजस्थान में करीब 3 महीने से नहीं मिल रहा मिड दे मील, सरकार से किया अनुरोध

Rajasthan News : करीब तीन माह से सरकार ने स्कूलों को मिड डे मील की सामग्री एवं कुक कम हेल्परों का बजट नहीं दिया है। यह हालात अकेले डूंगरपुर ही नहीं पूरे प्रदेश के हैं। अकेले डूंगरपुर जिले में ही कुकिंग कन्वर्जन व कुक कम हेल्पर के मानदेय के मद में लाखों रुपए बकाया है। ऐसे में राजकीय विद्यालयों में पोषाहार की थाली उधारी से ही सज रही है।
दिवाली के तीन दिन शेष रहते भी मानदेय नहीं मिलने से मानदेय कार्मिक आर्थिक तंगी झेल रहे हैं। जिले के कुछ ब्लॉक में जुलाई एवं अगस्त दो माह का भुगतान हुआ है। जिले के चार ब्लॉक चिखली, डूंगरपुर, सागवाड़ा एवं सीमलवाड़ा ब्लॉक में जुलाई, अगस्त एवं सितबर तीन माह का कुकिंग कन्वर्जन एवं कुक कम हेल्पर का मानदेय भुगतान नहीं हो पाया है। जबकि, अक्टूबर माह भी खत्म होने को हैं। वहीं, प्रदेश सरकार ने सूखा ग्रस्त जिलों में वर्ष 2023 में ग्रीष्मावकाश में भी एमडीएम चलाया था। इसमें डूंगरपुर जिले के तीन ब्लॉक साबला, गलियाकोट एवं सागवाडा में भी मई-जून 2023 में पोषाहार खिलाया गया था।
इसकी कुकिंग कन्वर्जन एवं कुक कम हेल्पर की राशि बकाया चल रही है। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. ऋषिन चौबीसा एवं प्रवक्ता राजेन्द्रसिंह चौहान का कहना है कि स्कूलों में पोषाहार की राशि विद्यालयों के बैंक खातों में एडवांस जमा होनी चाहिए। समय पर पैसा नहीं मिलने से कुक कम हेल्पर एवं दुकानदार उधारी के लिए तकाजा कर रहे हैं। सरकार समय पर बजट दें। योजना के अंतर्गत गेहूं-चावल कक्षा एक से पांच तक 100 ग्राम प्रति विद्यार्थी एवं कक्षा 6 से 8 तक 150 ग्राम प्रति विद्यार्थी दिया जाता है। सामग्री की राशि से दाल, सब्जी, तेल, मसाले आदि बाजार से खरीदे जाते हैं।
इसके अतिरिक्त प्रत्येक गुरुवार को फल देने का भी प्रावधान है। गौरतलब है कि राजकीय विद्यालयों के निरीक्षण के दौरान शिक्षा अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारी सबसे पहले पोषाहार की थाली ही चखते है तथा इसमें ही कमियां निकालने की फिराक में रहते हैं। लेकिन, लंबे समय से अल्प मानदेय कार्मिक कुक कम हेल्पर को मानदेय नहीं मिलने तथा कन्वर्जन की राशि नहीं मिलने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इससे शिक्षक एवं संस्थाप्रधान भी परेशान हैं। कुक कम हेल्परों का कहना है कि सरकार को अल्प मानदेय कार्मिकों की तरफ ध्यान देना चाहिए। उनके मानदेय में बढ़ोतरी की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। वहीं, समय पर मानदेय देने में भी कौताही बरती जा रही है।