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Rajasthan: राजस्थान सरकार की शिक्षा नीति पर सवाल! आरटीई के तहत बच्चों को 12वीं तक नि:शुल्क पढ़ाने का वादा संकट के बादलों से घिरा 

राजस्थान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वादा किया था, जिसमें आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत आठवीं कक्षा तक पढ़ाई कर रहे बच्चों को 12वीं तक नि:शुल्क शिक्षा देने का संकल्प लिया था। हालांकि, अब सरकार अपने ही वादे से मुकरते हुए नजर आ रही है। इसके परिणामस्वरूप, राज्यभर में लगभग 30,000 विद्यार्थियों की शिक्षा पर संकट आ गया है।
 
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Rajasthan News: राजस्थान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण वादा किया था, जिसमें आरटीई (राइट टू एजुकेशन) के तहत आठवीं कक्षा तक पढ़ाई कर रहे बच्चों को 12वीं तक नि:शुल्क शिक्षा देने का संकल्प लिया था। हालांकि, अब सरकार अपने ही वादे से मुकरते हुए नजर आ रही है। इसके परिणामस्वरूप, राज्यभर में लगभग 30,000 विद्यार्थियों की शिक्षा पर संकट आ गया है।

सरकार की नाकामी और अभिभावकों की परेशानी

आरटीई के तहत आठवीं तक नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों के अभिभावकों ने विश्वास किया था कि सरकार उनके बच्चों को 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करेगी। लेकिन अब जब सरकार बजट जारी करने में विफल रही है, तो स्कूल फीस बढ़ने के कारण कई अभिभावकों को आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

कुछ अभिभावक तो अपने बच्चों की फीस भरने के लिए कर्ज लेने को मजबूर हो गए हैं, जबकि कुछ बच्चों को स्कूल से टीसी (ट्रांसफर सर्टिफिकेट) थमा दिया गया है। इस कारण से अभिभावक अब अपने बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए चिंतित हैं और नए सत्र में यह समस्या और भी बढ़ सकती है।

शिक्षा विभाग और बजट की कमी

शिक्षा विभाग ने 2022-23 सत्र में "इंदिरा शक्ति फीस पुनर्भरण योजना" के तहत आवेदन मांगे थे और इसके लिए डेढ़ करोड़ रुपए का बजट तय किया था। हालांकि, कम संख्या में आवेदन आने के बाद विभाग ने सत्र 2023-24 के लिए इस योजना में बदलाव किया और छात्रों को भी इसमें शामिल किया। इसके बाद, छात्र-छात्राओं की संख्या बढ़ने से बजट करीब 30 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।

फिर भी, सरकार ने अभी तक इस बजट को जारी नहीं किया है, और इसके कारण योजना के तहत बच्चों के फीस पुनर्भरण में समस्या उत्पन्न हो रही है। अभिभावकों का कहना है कि उन्होंने योजना के तहत सरकार से पुनर्भरण राशि की उम्मीद जताई थी, लेकिन अब तक उन्हें कोई पैसा प्राप्त नहीं हुआ है।

सरकार का बयान

राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है और जैसे ही बजट उपलब्ध होता है, उसे जारी कर दिया जाएगा। हालांकि, यह जवाब अभिभावकों के लिए निराशाजनक साबित हो रहा है, क्योंकि उन्हें अब तक कोई राहत नहीं मिली है।

अभिभावकों की साक्षात्कार

कुछ अभिभावक अपनी परेशानियों को साझा करते हुए बताते हैं कि उन्होंने सरकार के आश्वासन पर बच्चों को नवीं कक्षा में दाखिला दिलाया, लेकिन अब उन्हें फीस भरने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। उदाहरण के तौर पर, गोपालपुरा निवासी धैर्य खत्री का कहना है कि उनके बेटे ने आठवीं कक्षा तक आरटीई के तहत पढ़ाई की थी, लेकिन अब उन्हें स्कूल की फीस स्वयं भरनी पड़ रही है। इसी तरह, वैशाली नगर निवासी कुसुम यादव की बेटी को भी सरकार से एक रुपया भी पुनर्भरण राशि नहीं मिली है, जबकि उन्होंने अपनी जेब से स्कूल की फीस भरी है।

राजस्थान सरकार की शिक्षा नीति पर प्रश्न चिन्ह

राजस्थान सरकार द्वारा आरटीई के तहत बच्चों को 12वीं तक नि:शुल्क शिक्षा देने का वादा महत्वपूर्ण था, लेकिन अब बजट की कमी और सरकार की नाकामी ने इस योजना की सफलता को संदिग्ध बना दिया है। इससे अभिभावकों में असंतोष और निराशा बढ़ रही है, जो उम्मीद कर रहे थे कि उनकी कठिनाईयों का समाधान जल्द ही होगा।