Rajasthan Roadways: राजस्थान रोडवेज में 89 लाख का वेतन घोटाला, झुंझुनूं डिपो में 24 कर्मचारी निलंबित, बड़ा खुलासा

Rajasthan Roadways: राजस्थान रोडवेज के झुंझुनूं डिपो में हाल ही में एक बड़ा वेतन घोटाला उजागर हुआ है, जिसमें कई कर्मचारी बिना ड्यूटी किए वर्षों से वेतन उठा रहे थे। इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद 24 अधिकारी और कर्मचारी निलंबित कर दिए गए हैं।
इसमें मुख्य आगार प्रबंधक, बाबू, चालक, परिचालक और यातायात निरीक्षक जैसे जिम्मेदार पदों के लोग भी शामिल हैं। यह मामला अब तक की सबसे बड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई में से एक माना जा रहा है। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम की चेयरमैन शुभ्रा सिंह ने बताया कि झुंझुनू डिपो के 16 कर्मचारियों के लंबे समय से अनुपस्थित रहने तथा काम न करने के बावजूद वेतन लेने की शिकायतों की जांच कराई जा रही है। प्रारंभिक जांच और निष्कर्षों के विश्लेषण के आधार पर झुंझुनू स्थित रोडवेज डिपो में वर्तमान में विभिन्न पदों पर कार्यरत 24 अधिकारियों व कर्मचारियों को दोषी पाए जाने पर निलंबित किया गया है।
इसके साथ ही झुंझुनूं डिपो में 2020 से अब तक कार्यरत सभी प्रबंधकों को 16 सीसीए नोटिस जारी करने और सात सेवानिवृत्त कर्मचारियों को चार्जशीट जारी करने का भी निर्णय लिया गया। इसके अलावा जोनल मैनेजर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। झुंझुनूं डिपो में अधिकारियों और कर्मचारियों ने संगठित गिरोह बना रखा था। बताया जाता है कि जो कर्मचारी सेवा पर नहीं आना चाहता था, वह अपने वेतन का कुछ हिस्सा यहां कार्यरत उच्च अधिकारियों को दे देता था।
इसी कारण उसकी अनुपस्थिति के बावजूद भी उपस्थिति दर्ज कर उसका वेतन बना दिया जाता था। अनुपस्थित कर्मचारी अक्सर अपने वेतन का कुछ हिस्सा अधिकारियों को दे देते हैं। इस घटना की शिकायत मई 2024 में एसीबी जयपुर में की गई थी। इसके बाद एसीबी ने इसकी जांच रोड मुख्यालय को सौंप दी थी। रोड मुख्यालय की ओर से उच्च स्तरीय जांच टीम गठित कर मामले की जांच की जा रही है। टीम दो बार झुंझुनूं डिपो आई थी।
मंडल प्रबंधक अवधेश शर्मा व सहायक मंडल प्रबंधक उमेश नागर की टीम ने दिनभर यहां रिकॉर्ड का निरीक्षण कर जांच रिपोर्ट मुख्यालय जयपुर को सौंपी। इसमें 89 लाख रुपए का घोटाला होने का आरोप है। झुंझुनूं डिपो में मुख्य प्रबंधक गणेश शर्मा को चार साल में दूसरी बार मुख्य डिपो प्रबंधक के पद पर नियुक्त किया गया है। फरवरी 2024 में उसे यहां रिमांड पर लिया गया था। रिमांड पर लिए जाने के कुछ समय बाद ही मामले में शिकायत दर्ज कराई गई थी। आरोप है कि उसके कार्यकाल में फर्जीवाड़ा फल-फूल रहा था और अब भी जारी है।