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राजस्थान की बेटियों ने खेल में दिखाया दम , किया राज्य का नाम गोर्व 

राजस्थान के कोटा जिले में स्थित उम्मेद सिंह स्टेडियम में फुटबॉल का नया सितारा चमक रहा है। यहां की बेटियां, जो अपने जुनून और मेहनत से खेल के क्षेत्र में एक नई पहचान बना रही हैं, ने हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाया है। ये खिलाड़ी न केवल अपने खेल से प्रेरणा देती हैं, बल्कि उनके दमख़म और उत्साह से साबित करती हैं कि महारी छोरिया छोरों से कम नहीं हैं।
 
राजस्थान की बेटियों ने खेल में दिखाया दम , किया राज्य का नाम गोर्व

Rajasthan news : : राजस्थान के कोटा जिले में स्थित उम्मेद सिंह स्टेडियम में फुटबॉल का नया सितारा चमक रहा है। यहां की बेटियां, जो अपने जुनून और मेहनत से खेल के क्षेत्र में एक नई पहचान बना रही हैं, ने हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाया है। ये खिलाड़ी न केवल अपने खेल से प्रेरणा देती हैं, बल्कि उनके दमख़म और उत्साह से साबित करती हैं कि महारी छोरिया छोरों से कम नहीं हैं।

कोटा की खेल अकादमी का उभार

कोटा की यह खेल अकादमी 2018 में शुरू हुई थी और इसने छोटी सी अवधि में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। हालांकि, कोविड-19 महामारी के कारण दो वर्षों तक अकादमी बंद रही, लेकिन अब यह पहले से भी ज्यादा ऊर्जा और उत्साह के साथ लौट चुकी है।

प्रमुख खिलाड़ी:

संजू कुंवर: स्टेट जूनियर टीम की कप्तान, प्लेयर ऑफ दी टूर्नामेंट
मुन्नी: अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी और सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर

नेशनल और स्टेट लेवल की सफलता

हाल ही में, कर्नाटक के बेलगांव में आयोजित नेशनल जूनियर गर्ल्स फुटबॉल चैंपियनशिप में राजस्थान की टीम ने 40 साल बाद जीत हासिल की। इस टीम में कोटा अकादमी की 13 खिलाड़ी शामिल थीं, जिनमें से संजू कुंवर को प्लेयर ऑफ दी टूर्नामेंट का सम्मान मिला।

क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव

बीकानेर के गांव ढींगसरी: 45 से ज्यादा लड़कियां राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी हैं।
कोटा अकादमी की उपलब्धियाँ: 28 खिलाड़ियों में से 15 बीकानेर की हैं, जिन्होंने कई बार नेशनल और स्टेट लेवल पर पदक जीते हैं। कोटा की फुटबॉल अकादमी की खिलाड़ियों के सपने अब राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के हैं। वे अपनी मेहनत और प्रशिक्षण के माध्यम से भारत को वैश्विक मंच पर गर्वित करने का लक्ष्य रखती हैं।

राजस्थान की बेटियों ने खेल के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा और मेहनत से एक नई मिसाल पेश की है। कोटा की यह अकादमी केवल खेल के प्रति जुनून ही नहीं, बल्कि समर्पण और कड़ी मेहनत का भी प्रतीक है। इन खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ यह साबित करती हैं कि सही दिशा और मार्गदर्शन से बड़ी से बड़ी बाधाएँ भी पार की जा सकती हैं।