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राजस्थान का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां पुजारी की जगह पुलिसकर्मी करते हैं पूजा

यह प्रदेश में एक मात्र ऐसा मन्दिर है जहां पर पुलिसकर्मियों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है, जिस तरह जैसलमेर के तनोट माता की सैनिकों द्वारा आरती और पूजा अर्चना की जाती है. उसी तरह भीलवाड़ा में भी एक ऐसा ऐतिहासिक मन्दिर है भीलवाड़ा शहर में पुलिस लाइन परिसर स्थित प्रसिद्ध संतोषी माता मंदिर है. जिसका निर्माण सन् 1960  मेवाड़ भील कोप एमबीसी बटालियन द्वारा करवाया गया था उसके बाद वह यहां से उदयपुर चल गये और तभी से इस मन्दिर की पूरी देखरेख पुलिस महकमा कर रहा है. 
 
राजस्थान का एकमात्र ऐसा मंदिर जहां पुजारी की जगह पुलिसकर्मी करते हैं पूजा

Rajasthan News : यह प्रदेश में एक मात्र ऐसा मन्दिर है जहां पर पुलिसकर्मियों द्वारा पूजा अर्चना की जाती है, जिस तरह जैसलमेर के तनोट माता की सैनिकों द्वारा आरती और पूजा अर्चना की जाती है. उसी तरह भीलवाड़ा में भी एक ऐसा ऐतिहासिक मन्दिर है भीलवाड़ा शहर में पुलिस लाइन परिसर स्थित प्रसिद्ध संतोषी माता मंदिर है. जिसका निर्माण सन् 1960  मेवाड़ भील कोप एमबीसी बटालियन द्वारा करवाया गया था उसके बाद वह यहां से उदयपुर चल गये और तभी से इस मन्दिर की पूरी देखरेख पुलिस महकमा कर रहा है. 

पुलिस विभाग ही संतोषी मां की पूजा अर्चना करता आ रहा है. पूजा अर्चना करने वाले हेड कांस्टेबल जमनालाल खारोल ने कहा कि यह संतोषी माता का प्राचीन मन्दिर है. मन्दिर निर्माण का निर्माण वर्ष 1965 में मेवाड़ भील कोर एमबीसी बटालियन ने करवाया था और जब वह चले गए तब उन्‍होंने इसे पुलिस विभाग को सुपुर्द कर दिया था. उसके बाद से ही यहां पर पुलिसकर्मियों द्वारा ही पूजा अर्चना की जा रही है. पुलिस विभाग की ओर से यहां पर 2 जवान लगाए गए है यहां पर टोंक, अजमेर, भीलवाड़ा और गुजरात से भी भक्त यहां पर आते है यहां पर भक्तों की मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है. 

इसके साथ पुलिस विभाग से भी कोई जवान जब बाहर ड्यूटी पर जाता है तो यहां पर दर्शन करके जाता है. नवरात्रि में यहां पर 9 दिनों तक पाठ, हवन और कन्याओं को भोजन करवाकर वस्त्र भी वितरित किए जाते हैं. संतोषी माता मंदिर का निर्माण वर्ष 1965 में मेवाड़ भील कोर एम बी सी बटालियन द्वारा करवाया गया. उसके बाद वह यहां से उदयपुर चल गये और तभी से इस मन्दिर में पुलिस विभाग ही पूजा अर्चना करता आ रहा है. 

इस मन्दिर के अध्‍यक्ष का भार भी पुलिस अधीक्षक को दिया गया है. जो मन्दिर की देखरेख के साथ ही यहां पर होने वाले खर्च का लेखा-जोखा रखते है यहां पर सुबह-शाम की आरती पुलिसकर्मियों द्वारा ही की जाती है जिसमें भारी संख्‍या में शहरवासी भी मौजूद रहते हैं इस मन्दिर की लोगों में काफी आस्‍था भी है और वह अपनी मन्‍नत का धागा भी बांधते है.