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2025 का बड़ा कानून! राजस्थान विधानसभा में धर्मांतरण विरोधी बिल पेश, जानें इसके बारे में पूरी डीटेल 

राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत में सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। धर्मांतरण विरोधी बिल, जिसे "राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025" कहा गया है, पेश किया गया। यह बिल खासतौर पर जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करने की गतिविधियों को रोकने के लिए लाया गया है। इसके तहत किसी भी प्रकार के धर्मांतरण को अपराध माना जाएगा और यह गैर-जमानती अपराध होगा।
 
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Rajasthan: राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र की शुरुआत में सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। धर्मांतरण विरोधी बिल, जिसे "राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025" कहा गया है, पेश किया गया। यह बिल खासतौर पर जबरन या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन करने की गतिविधियों को रोकने के लिए लाया गया है। इसके तहत किसी भी प्रकार के धर्मांतरण को अपराध माना जाएगा और यह गैर-जमानती अपराध होगा।

यह कानून झारखंड, कर्नाटक और गुजरात में पहले से ही लागू है। इसके तहत बलपूर्वक या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन पर रोक लगाई गई है। यह विधेयक 16 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सरकार के दौरान भी लाया गया था। यह विधेयक 2008 में पेश किया गया था, लेकिन केंद्र में अवरोध के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका।

सत्र की शुरुआत ही अराजकता से हुई। कैबिनेट मंत्री ओटाराम देवासी जब कृषि विभाग से संबंधित प्रश्न का उत्तर दे रहे थे तो सदन में कई बार विरोध प्रदर्शन हुआ। ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों को लेकर सदन में जवाब मांगा जा रहा है। इस दौरान यह सवाल उठता है कि कितने प्रतिशत फसलें नष्ट हुईं। ओटाराम देवासी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए, जिसके बाद विपक्ष ने उनसे किरोड़ी लाल मीना को बुलाने को कहा।

किरोड़ी लाल मीना एक बार फिर पूरे सत्र से अनुपस्थित रहे। इसके बाद चर्चा पुनः शुरू हुई। राजनीतिक हलकों में इसका काफी राजनीतिक महत्व निकाला गया है। यह जानकारी मिलने के बाद सरकार ने एक पत्र जारी किया। उनके अनुसार मंत्री किरोड़ी लाल मीना के विभाग से संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी देने और उन पर जवाब देने की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री ओटाराम देवासी और केके बिश्नोई को दी गई है।

राजस्थान विधानसभा में पेश किया गया "राजस्थान विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025" राज्य में धर्मांतरण और 'लव जिहाद' जैसे मुद्दों पर नियंत्रण करने के लिए महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। हालांकि, सत्र की शुरुआत में ही हंगामा हुआ और विपक्षी दलों ने सरकार से सवाल किए, लेकिन यह बिल राज्य में धार्मिक मामलों को लेकर बड़ा बदलाव ला सकता है। आने वाले दिनों में, इस विधेयक की सफलता और इसके सामाजिक व राजनीतिक प्रभावों पर निगाह रखना जरूरी होगा।