राजस्थान हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला! भजनलाल सरकार की इस अधिसूचना को दिया अवैध करार

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा वीर तेजाजी नगर को नया राजस्व गांव घोषित करने की अधिसूचना को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है। यह फैसला न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकल पीठ ने दिया, जिसमें ग्राम सभा की बैठक के दौरान हुई प्रक्रियात्मक खामियों को मुख्य आधार माना गया।
याचिकाकर्ता विष्णुदेव चौधरी की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने तर्क दिया कि जिस ग्राम पंचायत सांगरिया में यह नया गांव बसाया गया है, वहां इसी प्रकार की एक अन्य याचिका पहले ही स्वीकार की जा चुकी है। इसी मामले में ग्राम सभा की बैठक में कई कमियां पाई गईं, जैसे बैठक का कोई एजेंडा नहीं होना, अपर्याप्त कोरम और बिना सार्वजनिक सूचना के प्रस्ताव पारित कर दिए गए।
अदालत ने वर्तमान मामले में याचिका में पहले जारी आदेश के अनुसरण में 26 जनवरी, 2025 को आयोजित ग्राम सभा की बैठक में पारित प्रस्ताव संख्या 1 को भी रद्द कर दिया। इसके अलावा, 6 अप्रैल, 2025 को जारी अधिसूचना को भी रद्द कर दिया गया।
पीठ ने स्पष्ट किया कि ग्राम सभा की बैठक में अपेक्षित कोरम नहीं था और प्रस्ताव के बारे में कोई पूर्व सूचना भी नहीं दी गई थी। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि यदि राज्य सरकार भविष्य में कोई नया गांव घोषित करना चाहती है तो वह कानूनी प्रक्रिया के साथ वैध ग्राम सभा की बैठक बुला सकती है।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद तीसरी बार नए सिरे से परिसीमन नक्शा व ड्राफ्ट तैयार किया जाएगा। इससे पहले दो बार परिसीमन का मसौदा तैयार कर जयपुर भेजा गया था, लेकिन अब वीर तेजाजी नगर को हटाकर परिसीमन प्रक्रिया फिर से शुरू की जा सकेगी।
पिछली परियोजना में पाल गांव (पूर्व) और वीर तेजाजी नगर को मिलाकर वार्ड नंबर 10 बनाया गया था। अब अदालत के अनुसार, इस मोहल्ले की संरचना भी बदलनी होगी। अब निगम को सम्पूर्ण परिसीमन प्रक्रिया को दोबारा दोहराना होगा।
इससे अधिकारियों को मसौदा और परिसीमन मानचित्र तैयार करने का काम फिर से शुरू करना पड़ेगा, लेकिन यदि जनसंख्या के संदर्भ में विचार किया जाए तो इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। पूर्व में भेजे गए नए परिसीमन में वीर तेजाजी नगर और पूर्वी पाल क्षेत्र को मिलाकर बनाए गए वार्ड क्रमांक 10 की कुल जनसंख्या मात्र 10,749 है।
वीर तेजाजी नगर अधिसूचना रद्द होने के फैसले ने साफ कर दिया है कि सरकार को ग्रामीण स्तर पर निर्णय लेने से पहले पूर्ण वैधानिक प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। यह आदेश प्रशासनिक पारदर्शिता और विधिक प्रक्रिया के महत्व को भी दर्शाता है।