स्कूल की छत गिरने से मचा हड़कंप, गाँव की जनता ने टीचरों पर उठाएं सवाल
School Roof Collapses: झालावाड़ के पिपलोदी गांव में सरकारी स्कूल भवन की छत गिरने की दर्दनाक घटना ने एक बार फिर ग्रामीण शिक्षा व्यवस्था और प्रशासनिक लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शुक्रवार को हुई इस घटना में 13 बच्चे घायल हो गए और पूरे गांव में गम और आक्रोश का माहौल फैल गया। अधिकारियों ने उन्हें अपने स्तर पर मरम्मत कराने के लिए कह दिया तो शिक्षकों ने कहा था कि प्रति परिवार दो-दो सौ रुपये इकट्ठा कर लो तो नई छत डलवा दी जाएगी। हादसे से गुस्साए स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने स्कूल भवन की स्थिति के बारे में तहसीलदार और सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट को सूचित किया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। बताया कि स्कूल भवन का बड़ा हिस्सा पिछले चार साल से जर्जर है।
हर साल बारिश में इन कमरों की छत से पानी गिरता रहता है। ग्रामीण बाबूलाल ने कहा कि हम लोगों ने कई बार स्कूल प्रशासन और सरकारी अधिकारियों को मरम्मत करवाने का आग्रह किया। वहीं, ग्राम विकास अधिकारी दौलत गुर्जर ने कहा कि चार साल पहले ही मरम्मत करवाई थी। चार साल से छत क्षतिग्रस्त होने की बात सही नहीं है।
शुक्रवार को हुए हादसे के बारे में ग्रामीण बालकिशन ने बताया कि वह स्कूल के पास सड़क किनारे बैठे थे, तभी उन्होंने तेज आवाज सुनी। मुड़कर देखा, तो इमारत का एक हिस्सा धूल और मलबे के गुबार में ढह गया था। बच्चों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें गूंज रही थीं। बालकिशन ने बताया, 'मैं वहां मौजूद अन्य लोगों के साथ तुरंत स्कूल की ओर दौड़ा और बच्चों को बचाने के लिए स्लैब और पत्थर हटाने शुरू कर दिए।
