राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में इस पार्टी की जीत तय, नतीजा हुआ साफ़

Rajasthan News : राजस्थान की सात सीटों पर हुए उपचुनाव के बादएक सीट पर मतदान बढ़ने और शेष छह सीटों पर मतदान में काफी कमी होने पर अलग अलग अटकलें मायने निकाले जा रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि खींवसर में 3 प्रतिशत बढ़ा मतदान भाजपा के पक्ष में जा सकता है। रुझान भाजपा के पक्ष में नजर आने से इस बार बदलाव के संकेत दिखाई दे रहे हैं। उधर देवली उनियारा में थप्पड़ से भी वोटिंग के समीकरण बदले।
थप्पड़ कांड के बाद वहां कांग्रेस को मजबूत माना जा रहा है। मतदान प्रतिशत सामने आने के बाद सातों सीटों पर अलग अलग समीकरण लगाए जा रहे हैं।खींवसर की सीट राजस्थान की सबसे हॉट सीट रही। इस सीट से अजेय रहने वाले हनुमान बेनीवाल को इस बार पटखनी देने की पूरी कोशिशें की गई। भाजपा ने जीत की पूरी ताकत लगा दी थी। ऐसे में जो मतदान प्रतिशत बढ़ा है, उसे भाजपा की मेहनत का परिणाम माना जा रहा है। रुझान भले ही भाजपा के पक्ष में हों लेकिन आरएलपी को हराना भी आसान नहीं है।
हालांकि टक्कर कांटे की है और स्थिति स्पष्ट नहीं हो पा रही है।देवली उनियारा में निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा के थप्पड़ कांड से कांग्रेस को फायदा होना माना जा रहा है। पहले भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र गुर्जर का माहौल ठीक माना जा रहा था। सहानुभूति के चलते नरेश मीणा के समर्थन में भी काफी भीड़ जुटती रही लेकिन मतदान के दिन दोपहर को थप्पड़ कांड सामने आया तो चुनावी समीकरण बदल गए। ऐसा माना जा रहा है कि देवली उनियारा में मंगलवार दोपहर बाद समीकरण बदले और कांग्रेस प्रत्याशी केसी मीणा मजबूत होते नजर आए।झुंझुनूं में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र भांबू, कांग्रेस प्रत्याशी अमित ओला और निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।
पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढा ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाई। ने मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में लेते नजर आए। शेष वोटों का बंटवारा होने से भाजपा के भांबू मजबूत स्थिति में आ गए हैं।अलवर जिले की रामगढ़ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी आर्यन खान को मजबूत माना जा रहा था। दिवंगत जुबेर खान के निधन के बाद कांग्रेस ने उनके बेटे को चुनाव मैदान में उतारा। मतदान प्रतिशत घटने के बाद कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशी में सीधी टक्कर मानी जा रही है।दौसा सीट पर भाजपा के जगमोहन मीणा और कांग्रेस के दीन दयाल बैरवा के बीच टक्कर है।
पिछले दिनों हुए लोकसभा चुनाव में भले ही यहां भाजपा को बढत नहीं मिली लेकिन उपचुनाव में डॉ. किरोड़ी लाल मीणा का पूरा प्रभाव नजर आ रहा है। टिकट का ऐलान होने के बाद से लेकर मतदान तक वे क्षेत्र में डटे रहे। गांव गांव दौरा किया और हर समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें की। दौसा की सीट भाजपा के लिए सुरक्षित सीट मानी जा सकती है।डूंगरपुर जिले की चौरासी विधानसभा सीट पर भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) भाजपा और कांग्रेस पर भारी पड़ती नजर आ रही है। हालांकि मतदान के दो दिन पहले हुई भाजपा की सभा में अपार भीड़ उमड़ी थी लेकिन बीएपी को कमजोर नहीं माना जा सकता।
सत्ताधारी दल के तमाम प्रयासों के बावजूद भी चौरासी में मतदान प्रतिशत 8 फीसदी घटा है। ऐसे में बीएपी प्रत्याशी की जीत तय मानी जा रही है।उदयपुर जिले की सलूंबर सीट पर बदलाव की संभावना नजर नहीं आ रही है। पहले यहां भाजपा के अमृतलाल मीणा लगातार तीन चुनाव जीत चुके। उनके निधन के बाद भाजपा ने उनकी पत्नी को चुनाव मैदान में उतारा। कांग्रेसी नेताओं की गुटबाजी रही। मतदान के दौरान कई बूथों पर कांग्रेस के एजेंट तक नहीं बैठे। भाजपा का गढ़ होने और सहानुभूति फैक्टर के चलते बीजेपी प्रत्याशी की जीत तय मानी जा रही है।