पश्चिमी राजस्थान को जल संकट से मिलेगा छुटकारा! डब्ल्यूआरसीपी प्रोजेक्ट करेगा निहाल, देखें डीटेल

Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान (Rajsthan Breaking News) में जल संकट एक गंभीर समस्या बन चुका है, खासकर जोधपुर, जालोर, बाड़मेर और अन्य सीमावर्ती जिलों में। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा (Bhajanlal Sharma News) ने इस संकट से निपटने के लिए वेस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट (WRCP) को जल्द लागू करने का आश्वासन दिया है। इस प्रोजेक्ट के तहत माही नदी (Mahi river) से पानी लेकर इसे 350 किमी लंबी केनाल के जरिए पश्चिमी राजस्थान के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट पर काम चल रहा है, और डीपीआर के लिए बजट जल्द ही जारी किया जा सकता है।
डब्ल्यूआरसीपी से मिलने वाले लाभ
डब्ल्यूआरसीपी के फायदे केवल पानी की आपूर्ति तक सीमित नहीं होंगे, बल्कि यह पूरे पश्चिमी राजस्थान के लिए विकास का एक नया रास्ता खोलेगा। नीचे इसके प्रमुख लाभों की सूची दी जा रही है:
भूजल स्तर में सुधार: यह प्रोजेक्ट पश्चिमी राजस्थान के क्षेत्रों में भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद करेगा, जिससे खेती के लिए पानी की कमी की समस्या कम होगी।
कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा: कृषि क्षेत्र में पानी की बेहतर आपूर्ति से भूमि की उपजाऊ क्षमता में सुधार होगा, जिससे किसानों को अधिक लाभ होगा।
रोजगार के अवसर: इस प्रोजेक्ट से कृषि आधारित उद्योगों की संभावनाएं खुलेंगी, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पलायन में कमी आएगी।
पेयजल योजना: पानी की आपूर्ति से न केवल कृषि, बल्कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में पेयजल की उपलब्धता भी सुनिश्चित होगी।
उद्योगों को पानी मिलेगा: उद्योगों के लिए भी जल आपूर्ति सुनिश्चित होने से उनके विकास में तेजी आएगी।
गुजरात और राजस्थान के बीच माही जल बंटवारा
1966 में गुजरात और राजस्थान के बीच माही जल बंटवारे के तहत यह तय किया गया था कि माही नदी का अतिरिक्त पानी राजस्थान में लाया जाएगा। अब इस समझौते के तहत यह पानी 350 किमी लंबी केनाल के जरिए जालोर और बाड़मेर जैसे जिलों तक पहुंचाया जाएगा। इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए गुजरात सरकार की सहमति आवश्यक है, और इसके बाद ही प्रोजेक्ट के विस्तृत योजना (डीपीआर) पर काम शुरू हो सकेगा।
प्रोजेक्ट की स्थिति और आगे का रास्ता
प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट पहले ही तैयार की जा चुकी है, और इस पर विभाग से सुझाव भी मिल चुके हैं। अब अंतिम रिपोर्ट का इंतजार है, जो इस प्रोजेक्ट की वास्तविकता और प्रभावकारिता पर आधारित होगी। यदि अंतिम रिपोर्ट सकारात्मक रही, तो छह महीने से लेकर एक साल तक की समयावधि में इस प्रोजेक्ट के डीपीआर की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। इसके बाद गुजरात सरकार के साथ साझेदारी में इसे धरातल पर लाया जा सकता है।
डब्ल्यूआरसीपी के प्रति विधायकों की उम्मीद
विधायकों ने इस प्रोजेक्ट को लेकर कई बार मुख्यमंत्री से मुलाकात की है, और उन्हें इस पर सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन मिला है। ओसियां के विधायक भैराराम सियोल और शेरगढ़ के विधायक बाबूसिंह राठौड़ ने इस प्रोजेक्ट के लिए लगातार समर्थन किया है। इनका मानना है कि डब्ल्यूआरसीपी पश्चिमी राजस्थान के लिए वरदान साबित हो सकता है।