राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में कौन मारेगा बाजी कांग्रेस या भाजपा, यहां देखें पूरी जानकारी

Rajasthan News : कांग्रेस ने हनुमान बेनीवाल की आरएलपी और भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन तोड़ दिया है। जबकि दोनों ही दलों के साथ कांग्रेस लोकसभा चुनाव मिलकर साथ लड़ा था। हालांकि, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा का कहना है कि गठबंधन लोकसभा चुनाव के लिए था। नागौर जिले की खींवसर, टोंक जिले की देवली-उनियारा, झुंझुनू जिले की झुंझुनूं, दौसा, डूंगरपुर की चौरासी, सलूंबर और अलवर जिले की रामगढ़ विधान सभा सीट पर उपचुनाव होने हैं। जिनमें से एक बीजेपी, चार कांग्रेस, एक बाप और एक आरएलपी की सीट रही है। अब इन चारों दलों की प्रतिष्ठा दांव पर है।
इसलिए सभी दलों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी है।सभी दलों ने अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार दिया है। सियासी जानकारों का कहना है कि इन सीटों पर जातिवादअहम फैक्टर है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ये भजनलाल सरकार की पहली बड़ी राजनीतिक परीक्षा होगी। सात में से केवल एक सीट (सलूंबर) को छोड़ बाकी सीटों पर BJP के विधायक नहीं थे। जानकारो का कहना है कि झुंझुनूं में दलित-मुस्लिम वोटों के बंटवारे नतीजे तय होंगे। जबकि दौसा में पायलट-किरोड़ी फैक्टर हावी रहेगा। कांग्रेस को दौसा और झुंझुनूं में एडवांटेज मिल सकता है। झुंझुनूं पूर्व केंद्रीय मंत्री और जाट नेता शीशराम ओला का प्रभाव वाला इलाका है। यहां से कांग्रेस ने शीशराम ओला के पोते को टिकट दिया है।
ऐसे में माना जा रहा है कि यहां से अमित ओला चुनाव जीत सकते है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दौसा उपचुनाव में भितरघात नहीं होता है तो कांग्रेस के दीन दयाल बैरवा जीत सकते है। लेकिन, कांग्रेस प्रत्याशी को सबसे बड़ा खतरा कांग्रेस के अंदर से ही हो सकता है। सचिन पायलट की सक्रियता भी हवा का रूख बदल सकती है। इसी प्रकार अलवर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने इमोशन कार्ड खेला है।
दिवंगत विधायक जुबेर खान के पुत्र आर्यन को टिकट दिया है। कांग्रेस को उम्मीद है कि जुबेर खान के किए हुए काम और सहानुभूति के सहारे जीत मिल जाएगी। लेकिन, सियासी जानकारों का कहना है कि आर्यन खान की राह आसान नहीं है। बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि बीजेपी के बागी नेता जह आहूजा शांत हो गए है। टिकट नहीं मिलने से नाराज जय आहूजा ने बगावती तेवर दिखाए थे लेकिन, सीएम भजनलाल शर्मा के कहने पर मान गए है।
विधानसभा चुनाव 2023 में बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़े सुखवंत सिंह को बीजेपी ने इस बार टिकट दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उपचुनाव में बीजेपी की जीत का रिकाॅर्ड ठीक नहीं रहा है। लेकिन, इस बार स्थितिया उलट है। बीजेपी अपने प्रदर्शन में सुधार कर सकती है। खींवसर, देवली-उनियारा और सलूंबर में मजबूत दिखाई दे रही है। बीजेपी की एक सीट पर उपचुनाव हो रहे है। सलूंबर सीट से बीजेपी विधायक के निधन के कारण उपचुनाव हो रहे है।
बाकि अन्य सीटों पर कांग्रेस, आरएलपी और भारत आदिवासी पार्टी के विधायकों द्वारा इस्तीफा देने कारण उपचुनाव हो रहे है। सियासी जानकारों का कहना है कि बीजेपी भले ही एक सीट हो लेकिन सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। चुनाव परिणाम से भजनलाल सरकार के कामकाज का आंकलन होगा।