नरेश मीणा ने क्यों मारा एसडीएम को थप्पड़ मामले के बाद ब्यान में बताई पूरी जानकारी

Rajasthan News : राजस्थान के देवली-उनियारा विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव चल रहे थे, और नरेश मीणा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में थे। साथ ही, नरेश मीणा और उनके समर्थक समरावता गांव में मतदान का बहिष्कार कर रहे थे। इसका मतलब है कि वे मतदान प्रक्रिया का विरोध कर रहे थे और वोटिंग में भाग नहीं ले रहे थे।
नरेश मीणा और उनके समर्थकों ने आरोप लगाया कि प्रशासन जबरन मतदान करवा रहा था और स्थानीय अधिकारियों पर वोटिंग में अनियमितताओं के आरोप लगाए। मीणा का कहना था कि अधिकारी वोट डालने के लिए दबाव बना रहे थे, जिससे गांववालों में गुस्सा था। इस तनावपूर्ण माहौल में, एसडीएम अमित चौधरी ने नरेश मीणा को उनके हस्तक्षेप और विरोध को रोकने की कोशिश की, जो स्थिति को और खराब कर दिया।
एसडीएम ने जब नरेश मीणा को अपनी गतिविधियां रोकने को कहा, तो मीणा ने गुस्से में आकर एसडीएम को थप्पड़ मार दिया। यह थप्पड़ उस समय मारा गया जब एसडीएम ने मीणा को चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से रोकने की कोशिश की। यह एक शारीरिक हमला था, जो नरेश मीणा के गुस्से और विरोध को दर्शाता है, जब उन्हें लगा कि प्रशासन उनके खिलाफ काम कर रहा है।
नरेश मीणा का कहना था कि एसडीएम और अधिकारियों ने वोटिंग प्रक्रिया को अनियमित किया था और वे वोट डालने के लिए ग्रामीणों पर दबाव बना रहे थे। मीणा का यह भी मानना था कि प्रशासन ने उनका मूल अधिकार छीनने की कोशिश की थी, जिससे वे अत्यधिक नाराज हो गए। उनका यह कदम शायद इस भावना से प्रेरित था कि अधिकारियों की कार्रवाई से लोकतंत्र के मूल सिद्धांत का उल्लंघन हो रहा था।
नरेश मीणा के इस कदम के बाद गांव में तनाव बढ़ गया। ग्रामीणों ने मीणा का समर्थन किया, और उनके समर्थकों ने पुलिस और अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद, पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया, और भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। इस घटना ने राजनीतिक और प्रशासनिक विवाद को जन्म दिया और कई प्रशासनिक कर्मचारियों ने मीणा के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
नरेश मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ क्यों मारा? यह इस बात का परिणाम था कि वे चुनावी प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रशासन के कदमों को गलत मान रहे थे। उनका गुस्सा और विरोध प्रशासन द्वारा की गई वोटिंग प्रक्रिया में हस्तक्षेप और जबरन मतदान करवाने के आरोपों पर आधारित था।