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राजस्थान और गुजरात की कंडील क्यों आ रहीं हैं लोगों को इतनी पसंद, देखे क्या हैं खास 

दुकानदार राजू गुलाटी ने बताया कि प्राचीन समय में कंडील घर में सबसे ऊंची जगह पर लगाए जाते थे। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि यह इस बात का प्रतीक होता था कि दिवाली पर हमारे पूर्वज परछाई बन हमारे साथ यह त्योहार जरूर मनाएं। यह सजावट के लिए सबसे आकर्षक व मनमोहक वस्तु है। कॉटन के कपड़ों वाली कंडीलों की दुकानें सजी हुई हैं। इन दिनों बाजारों में दर्जनों रंगों व डिजाइनों में कंडील उपलब्ध है।
 
राजस्थान और गुजरात की कंडील क्यों आ रहीं हैं लोगों को इतनी पसंद, देखे क्या हैं खास 

Rajasthan News : दुकानदार राजू गुलाटी ने बताया कि प्राचीन समय में कंडील घर में सबसे ऊंची जगह पर लगाए जाते थे। उन्होंने बताया कि मान्यता है कि यह इस बात का प्रतीक होता था कि दिवाली पर हमारे पूर्वज परछाई बन हमारे साथ यह त्योहार जरूर मनाएं। यह सजावट के लिए सबसे आकर्षक व मनमोहक वस्तु है। कॉटन के कपड़ों वाली कंडीलों की दुकानें सजी हुई हैं। इन दिनों बाजारों में दर्जनों रंगों व डिजाइनों में कंडील उपलब्ध है।

 बताया कि यह आइटम 20 रुपये से शुरू होकर 200 रुपये तक की है। बाजार में रौनक ः मुख्य बाजार के अलावा रेलवे रोड, भगत सिंह चौक तहसील रोड, छोटी सब्जी मंडी, नौता चौक तलाई बाजार कोठी गेट सहित तमाम बाजारों में सजावटी सामानों से दुकानें अटी पड़ी हैं। लोगों का मानना है कि दिवाली पर्व की सजावट कंडील के बिना अधूरी है। सामान्य कीमत करीब डेढ़ सौ से 1000 रुपये में कंडील उपलब्ध है। दुकानदार राजीव शर्मा ने बताया कि कंडील केवल सजावटी वस्तु नहीं है। इसका इतिहास व महत्व पौराणिक और आध्यात्मिक है। 

कंदील को आकाश दीप भी कहते हैं। दिवाली पर कंडील का अपना अलग महत्व होता है। इसलिए इस पर्व पर इसका काफी अधिक महत्व रहता है। यह गुजराती और राजस्थानी है। बाजार में सजावटी सामान से सज गईं हैं। रंगीन लाइटें, झालरें, शुभ-लाभ, गणेश, लक्ष्मी और दीपक के बैनर और अन्य सामान ग्राहकों को आकर्षित कर रहे हैं। घरों को आकर्षक ढंग से सजाने के लिए लोग इन वस्तुओं की खूब खरीदारी कर रहे हैं। इससे सजावटी सामान की बिक्री में काफी उछाल आया है।