सरकारी नौकरी न मिलने के कारण युवक ने की आत्महत्या, परिवार वाले उतरे धरने पर

Rajasthan News : हाईकोर्ट की जयपुर युवक का शव हाईकोर्ट परिसर के थर्ड फ्लोर पर कमरे में लटका मिला। युवक के पास सुसाइड नोट मिला। इसमें लिखा- हे भगवान मुझे विजय मिले पुलिस ने बताया- बांदीकुई के रहने वाले मनीष सैनी (40) ने हाईकोर्ट परिसर के थर्ड फ्लोर पर बी ब्लॉक के अपील सेक्शन के कमरा नंबर 306 में फंदा लगाया। वह साल 2005 से राजस्थान हाईकोर्ट में संविदा पर काम कर रहा था। घटना की सूचना मिलने पर युवक के परिजन भी मौके पर पहुंचे। यहां उन्होंने धरना देकर प्रशासन और सरकार के खिलाफ विरोध जताया।
सभी संविदाकर्मी जीए (गवर्नमेंट एडवोकेट) ऑफिस के बाहर धरने पर बैठ गए। सूचना मिलने पर अशोक नगर थानाधिकारी उमेश बेनीवाल मौके पर पहुंचे। हाईकोर्ट के सामने वकीलों ने लगाया जाम प्रदर्शन के दौरान दोपहर 12 बजे वकील हाईकोर्ट के बाहर सड़क पर आ गए और रास्ता रोक दिया। वकीलों ने जाम लगाते हुए प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। इससे हाईकोर्ट सर्किल से स्टैच्यू सर्किल जाने वाले रास्ते पर जाम लग गया। ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया। हाईकोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा ने बताया- हाईकोर्ट परिसर में इतनी बड़ी घटना हुई है।
मृतक मनीष का शव अभी इसी परिसर में है। इसलिए हम कार्य नहीं कर रहे हैं। सरकारी नौकरी और एक करोड़ रुपए मुआवजे की मांग की थी संविदा कर्मचारियों ने धरना देते हुए मनीष की पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग की। साथ ही बच्चे और माता-पिता के पालन पोषण के लिए एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता, मृतक के बच्चों की ग्रेजुएशन तक मुफ्त शिक्षा व्यवस्था करने और सुप्रीम कोर्ट में लंबित एसएलपी को वापस लेने की मांग की। इसी के साथ उन्होंने इस मामले की उच्च अधिकारी से निष्पक्ष और त्वरित जांच करवाने की मांग की। 11 लाख रुपए देने पर बनी सहमति रात को सुसाइड मामले में प्रशासन और परिजनों के बीच सहमति बन गई है।
प्रशासन की ओर से मृतक आश्रितों को 11 लख रुपए की आर्थिक मदद दी गई। वहीं मृतक की पत्नी को संविदा पर नौकरी और हाई कोर्ट में ही संविदा पर कार्य कर रहे कर्मचारियों की वेतन में वृद्धि की गई है। इसके बाद मनीष सैनी के परिजन शव को लेकर बांदीकुई चले गए। जहां शनिवार को अंतिम संस्कार होगा। साथी बोले- सरकारी नौकरी नहीं मिलने की उम्मीद टूटने के कारण किया सुसाइड मृतक मनीष सैनी राजकीय पीपीओ ऑफिस में कार्यरत था। मनीष के साथ कार्यरत संविदाकर्मी निरंजन सिंह शेखावत ने बताया- मनीष को उम्मीद थी कि भविष्य में सरकारी नौकरी लग जाएगी।
इसलिए रोज बांदीकुई से जयपुर हाईकोर्ट ट्रेन से आता था। मनीष ने करीब 19 साल तक यह नौकरी की। हर सरकार से उम्मीद लगाई कि मौजूदा सरकार उन्हें सरकारी नौकरी देगी। पीपीओ ऑफिस में कार्यरत कर्मचारियों के हाईकोर्ट में केस जीतने के बाद उम्मीद थी कि उन्हें सरकारी नौकरी मिलेगी। 60 से ज्यादा लोग 2005 से संविदा पर कार्यरत हाईकोर्ट की जयपुर बेंच में करीब 60 से ज्यादा लोग 2005 से संविदा पर कार्यरत हैं।
इनमें से 22 लोग स्थायी नियुक्ति की मांग को लेकर 2013 में हाईकोर्ट गए थे हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 13 जनवरी 2022 को उनके पक्ष में फैसला देते हुए स्थायी नियुक्ति के आदेश जारी किए थे। पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगा दी। इसके बाद करीब ढाई साल से सुप्रीम कोर्ट में मामला पेडिंग है।