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Chanakya Niti : लड़कों के मुकाबले लड़कियों मे इस काम को करने की होती है ज्यादा इच्छा, लेकिन इस चीज से लगता है डर

 
Chanakya Niti

Chanakya Niti : आज के समय में महिलाओं का स्थान बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। उन्हें केवल घर का काम करने जैसे रोजमर्रा के कामों से नहीं बल्कि समाज की तमाम क्षेत्रों में अपना योगदान देना होता है। लेकिन इस बात को भी मानना पड़ता है कि महिलाओं में जीते जागते ईच्छाशक्ति कुछ अधिक होती है। यही ऐसी बात है जिसे यहाँ पर चाणक्य ने भी स्पष्ट कर दिया है कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों में इस काम को करने की होती है ज्यादा इच्छा, लेकिन इस चीज से लगता है डर।

यह बात सही भी है। महिलाएं अपने सुख-दुःखों को बाँटने में पुरुषों से कहीं ज्यादा समृद्ध होती हैं। उन्हें किरणों की तरह चमकदार लाइफ जीने की चाह है। उन्हें वो सुख-समृद्धि, स्वतंत्रता, समानता और समझौते लाइफ में चाहती हैं जो पुरुषों को मिलते हैं। इस शीर्षक में चाणक्य ने अपनी बात साफ कर दी है।

लेकिन इसके बावजूद महिलाओं ने आज हमारी समाज के लिए बेहद महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने एक ओर से अपने घर का ध्यान रखा, और दूसरी ओर समाज में अपनी पहचान बना ली है। खास तौर पर महिलाओं ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी उन्नति की है। वे आज अपने संघर्षों को एक तरह से जीत चुकी हैं। इनके एकमात्र प्रेरक होने के कारण आज हमारे देश में महिलाओं के लिए कोई क्षेत्र केवल उनका नहीं रह गया है। वे हर क्षेत्र में उपलब्ध हैं ताकि उनकी आवाज़ की अहमियत को बखूबी समझा जा सके।

लेकिन जैसा कि मैंने पहले भी कहा है कि महिलाओं में ईच्छाशक्ति बहुत ज्यादा होती है, इस वजह से वे अपने सपनों की पूर्ति के लिए अपनी कड़ी मेहनत करती हैं। इस सफलता का अनुभव उन्हें तब होता है जब वे अपने अंदर के डर को भी जीत लेती हैं। इसी से उन्हें दूसरों के लिए भी प्रेरणा मिलती है।

इसके बावजूद भी महिलाओं का रोग बनता जा रहा है कि वे लोगों से सहमति पाने की तमन्ना रखती हैं। वे अंदर से अपने डरों की वजह से इन्हें जितना डरती हैं उतना खुलकर बात नहीं करती हैं। उन्हें लगता है कि जो वे सोचती हैं उससे अन्य लोगों को नुकसान पहुँच सकता है। इस वजह से वे स्वयं को आगे नहीं बढ़ा पाती हैं। चाणक्य ने भी कहा है कि महिलाएं अपने अंदर का हर डर जीतने के लिए जुटनी चाहिए।

महिलाएं कम मुकाबलों के बीच में अपना सफलता-सफर तब अनुभव करती हैं जब वे खुद से मोहब्बत करती हैं। वे यह समझती हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। वे खुद पर एक समझदार महिला के रूप में नहीं बल्कि कामयाब महिला के रूप में फकीर होती हैं। यही उन्हें अंततः सफलता मिलती है।

अब चाहे आप महिला हों या पुरुष, यदि आप रिस्क को लेने की तैयारी नहीं रखते और ऐसे ही समय समय पर कुछ नया करने से खुद को बचाते रहेंगे तो आप अपने करियर को सफल नहीं बना पाएंगे। समय-समय पर खुद को चुनौतियों के सामने रखें, और जब आप उन्हें सफलता से जीत लेंगे तो उन सफलताओं को खुशी से स्वीकार करें। सफलता ना सिर्फ कुछ क्षणों की आनंद दायक ताकत होती है, बल्कि यह हमारी यात्रा का एक निर्णय होती है।

महिलाएं समाज की तमाम क्षेत्रों में आज सफल हो रही हैं। वे शिक्षा के क्षेत्र में काफी उन्नति कर रही हैं। वे किरणों की तरह चमकदार जिज्ञासा से लौट रही हैं। लेकिन इस सफलता को पाने के लिए उन्हें अपने बीच के डर से मुक्त होकर उस उत्साह से काम करना चाहिए जिससे उनके करियर में अपनी एक नई ऊंचाई को छूने का संभावना हो सके।

चाणक्य की बातों को आज भी हमेशा के लिए याद रखना चाहिए चाहे वह पुरुष हो या महिला। आज महिलाएं समानता के बिना किसी क्षेत्र में अपना जीवन नहीं जी सकती हैं। वे हर क्षेत्र में अपना योगदान दे सकती हैं और इस समय में उनकी सफलता का सूचक हमेशा उनकी ईच्छाशक्ति होती ही है।