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Chanakya Niti: मर्द चाहे कितना भी कर ले लेकिन इन महिलाओं की इच्छा रहती है अधूरी, जानिए वजह?

 
Chanakya Niti

Chanakya Niti: चाणक्य निति में इसका बहुत ही सरल जोड़ होता है - महिला की इच्छा जरूरी होती है। यह उस दौर में लिखा गया था जब महिलाओं की हक़ एकलौते पतियों द्वारा नष्ट किए जाते थे। चाणक्य ने उन्हें इसकी जानकारी देने के साथ-साथ उन लोगों को भी बताया था जो महिलाओं को उनके स्वतंत्र होने के लिए समर्थ थे।

चाणक्य निति में स्त्री के मेहमानों के सम्बन्ध में यह भी कहा गया है कि नियमित रूप से भोजन कराने की आवश्यकता होती है। इससे उसका आतिथ्य के लिए सम्मान मिलता है और वह सम्मान का हक़दार बनती है।

चाणक्य ने उन महिलाओं के लिए उपलब्धियों के कारण कहा था कि वे एक समान अधिकार हासिल करने के लिए लड़ें। पुरुषों से अलग जीवन का बनाना चाहिए जो उनकी स्वतंत्रता को बनाये रख सके, जंगल की शेरनियों की तरह। उन्होंने इससे पहले इसकी व्याख्या भी दीथी कि महिलाओं के सामने कई रास्ते खुले हैं मगर इन्हें अपनी स्वतंत्रता नहीं मिलती।

चाणक्य निति ने उन्हें यह भी आश्वस्त किया था कि अपने संघर्ष से वह सफलता के मंजरों पर पहुँच सकती हैं। वे वेदना और दुख के सामने नहीं हारेंगी यदि वे अपनी भूमिका समझेंगी। जो कुछ भी उन्हें प्राप्त होगा, वह उनकी स्वतंत्रता और आयुष्मान के लिए होगा।

इस विषय पर चाणक्य ने स्पष्ट रूप से कहा है जो नीचे दिया गया है।

\"शिरोमणि पुरुषोत्तमम् यत् स्त्रीत्वमपि प्राप्यते ।
तत्र परमसुखँ ह्येतदपि पर्यटनं त्रिविधम् ॥\"

अर्थात्, एक पति के रूप में सम्मान के पद पर पहुँचने वाली महिलाएं - वहाँ त्रिविध सुख होते हैं। उन्हें स्वतंत्रता के बिना एक सफल जीवन नहीं मिलता।

इस आधार पर, चाणक्य ने स्त्री के सम्बन्धों, पति के संबंधों और समाज के अन्य तत्वों के सत्यापन में महिलाओं की भूमिका को मजबूत बनाने के लिए राय दी।