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Telegram पर लगा 8.5 करोड़ रुपये का जुर्माना, जानें क्या हैं पूरा मामला 

ऑनलाइन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म Telegram पर ऑस्ट्रेलिया के ऑनलाइन सेफ्टी कमीशन ने 8.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना Telegram द्वारा निर्धारित समय में बच्चों के यौन उत्पीड़न से संबंधित कंटेंट को रोकने और कट्टरपंथी कंटेंट को हटाने के लिए उठाए गए कदमों पर सवालों के जवाब न देने के कारण लगाया गया है। आइए जानते हैं इस जुर्माने के पीछे की पूरी कहानी और इससे जुड़े अहम पहलुओं के बारे में।
 
Telegram पर लगा 8.5 करोड़ रुपये का जुर्माना, जानें क्या हैं पूरा मामला 

Telegram News : ऑनलाइन मैसेजिंग प्लेटफॉर्म Telegram पर ऑस्ट्रेलिया के ऑनलाइन सेफ्टी कमीशन ने 8.5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना Telegram द्वारा निर्धारित समय में बच्चों के यौन उत्पीड़न से संबंधित कंटेंट को रोकने और कट्टरपंथी कंटेंट को हटाने के लिए उठाए गए कदमों पर सवालों के जवाब न देने के कारण लगाया गया है। आइए जानते हैं इस जुर्माने के पीछे की पूरी कहानी और इससे जुड़े अहम पहलुओं के बारे में।

ऑस्ट्रेलिया के ईसेफ्टी कमीशन ने मार्च 2024 में सोशल मीडिया कंपनियों को ट्रांसपेरेंसी रिपोर्टिंग नोटिस भेजा था। इस नोटिस में प्लेटफार्मों से यह पूछा गया था कि उन्होंने अपनी साइट्स पर कट्टरपंथी और खतरनाक कंटेंट को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं। खासतौर पर Telegram और Reddit से यह पूछा गया था कि उन्होंने बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े कंटेंट को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं।

ऑस्ट्रेलिया की ईसेफ्टी कमीशनर जुली इनमैन ग्रांट ने कहा कि यह जुर्माना एक महत्वपूर्ण संदेश भेजेगा, जिससे सोशल मीडिया कंपनियों को यह समझ में आएगा कि समय पर पारदर्शिता दिखाना और कानून का पालन करना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि Telegram द्वारा दी गई जानकारी में 160 दिनों का विलंब हुआ, जिससे कमीशन का काम प्रभावित हुआ।

Telegram ने इस जुर्माने के फैसले का विरोध किया है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि Telegram ने सभी सवालों का जवाब दिया था, लेकिन समय में देरी के कारण जुर्माना लगाया गया। कंपनी का मानना है कि यह जुर्माना केवल समय में देरी के कारण लगाया गया है और इस फैसले के खिलाफ अपील की जाएगी।

इस फैसले के बाद Telegram और अन्य सोशल मीडिया कंपनियों के लिए एक अहम संदेश है कि उन्हें अपने प्लेटफॉर्म्स पर होने वाली गलत गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे। इसके अलावा, समय पर ट्रांसपेरेंसी रिपोर्टिंग करना जरूरी है ताकि उनके प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग न हो सके।