Fastag को लेकर केंद्र सरकार ने जारी किए नए नियम, वाहन चालक फटाफट जानें नए नियम 

 
 
 वाहन चालक फटाफट जानें नए नियम

FASTag New Rules: हाईवे पर यात्रा करने वालों के लिए एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए फास्टैग नियमों से वाहन चालकों में हड़कंप मच गया है। अब अगर आप लंबे समय तक फास्टैग का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो आपको भारी जुर्माना देना पड़ सकता है।

फास्टैग को लेकर पहले से ही कई लोगों में भ्रम की स्थिति थी लेकिन अब बॉम्बे हाई कोर्ट के एक ऐतिहासिक फैसले के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि फास्टैग का उपयोग अनिवार्य है और इसके बिना राजमार्गों पर यात्रा करना महंगा होगा। इस निर्णय के बाद से कई वाहन चालक परेशान हैं, क्योंकि फास्टैग को लेकर पहले से ही कई गलतफहमियां थीं।

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नया नियम क्या है?

सरकार ने पहले ही फास्टैग को अनिवार्य कर दिया था लेकिन अब लंबे समय तक इसका इस्तेमाल न करने पर जुर्माना लगाया गया है। दूसरे शब्दों में, यदि आपने अपने फास्टैग को नियमित रूप से रिचार्ज नहीं किया है या लंबे समय तक इसका उपयोग किया है, तो आपको अतिरिक्त शुल्क देना होगा।

एनएचएआई के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि किसी वाहन का फास्टैग निष्क्रिय पाया जाता है तो उसे दोगुना टोल देना होगा। इस नियम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राजमार्गों पर टोल प्लाजा पर ट्रैफिक जाम न हो और कैशलेस लेनदेन को बढ़ावा मिले।

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बॉम्बे हाईकोर्ट का बड़ा फैसला फास्टैग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि कई लोग फास्टैग का इस्तेमाल करने के लिए तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं। याचिका में कम से कम एक टोल बूथ पर नकद भुगतान की अनुमति देने की मांग की गई।

हालांकि, मुख्य न्यायाधीश आलोक अराध्ये और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि फास्टैग एक नीतिगत निर्णय है जिसका उद्देश्य सड़क यात्रा को आसान बनाना है।

सरकारी नियम क्या कहता है?

फास्टैग 2014 में लॉन्च किया गया था और तब से इसे 100% अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि यह टोल प्लाजा पर लंबे ट्रैफिक जाम से बचने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली है।

एनएचएआई ने फरवरी 2021 में एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि अगर कोई वाहन बिना फास्टैग के टोल प्लाजा पार करता है तो उससे दोगुना शुल्क लिया जाएगा। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है लेकिन उच्च न्यायालय ने इस तर्क को पूरी तरह से खारिज कर दिया।

क्या दोगुनी राशि वास्तव में जुर्माना है?

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि दोगुनी राशि को ‘जुर्माना’ नहीं माना जा सकता। वास्तव में केवल वैध फास्टैग वाले वाहनों को ही फास्टैग लेन में प्रवेश की अनुमति है। यदि कोई वाहन बिना फास्टैग के इस लेन में प्रवेश करता है तो उससे दोगुना टोल वसूला जाएगा।

यह पूरी तरह से राजमार्ग टोल विनियमों के अनुरूप है और इसे जुर्माना नहीं माना जा सकता। यह केवल उन मोटर चालकों के लिए चेतावनी है जो बिना फास्टैग के यात्रा करने का प्रयास करते हैं।