UP के ये 25 सड़कें होंगी चकाचक, योगी सरकार 40 करोड़ से ज्यादा करेगी खर्च

यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में शामिल लोक निर्माण विभाग और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की 25 सड़कों की मरम्मत यमुना प्राधिकरण कराएगा। यमुना प्राधिकरण सेक्टरों का हिस्सा बन चुकी इन सड़कों की मरम्मत से दोनों विभागों ने हाथ खींच लिए हैं।
प्राधिकरण के स्वामित्व में न होने के कारण ये सड़कें मरम्मत के अभाव में जर्जर हो गई हैं। इससे क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों को परेशानी हो रही थी। प्राधिकरण बोर्ड ने इन सड़कों की मरम्मत कराने पर अपनी मंजूरी दे दी है। तीन गांवों में परिधीय सड़कों के निर्माण तथा सात गांवों में जनसंख्या सर्वेक्षण को भी मंजूरी दी गई है।
यह वीडियो भी देखें यमुना प्राधिकरण के प्रमुख सचिव एवं अध्यक्ष आलोक कुमार यमुना प्राधिकरण की बोर्ड बैठक की अध्यक्षता करते हुए।
ये सड़कें किस सेक्टर में हैं?
यमुना प्राधिकरण के सेक्टर 16, 17, 18, 20, 28, 29, 32 व 33 में लोक निर्माण विभाग की 17 सड़कें और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग की आठ सड़कें हैं। दोनों विभागों ने इनका रखरखाव बंद कर दिया था, क्योंकि ये सड़कें प्राधिकरण क्षेत्र में थीं, लेकिन प्राधिकरण ने भी सड़कों के हस्तांतरण न होने के कारण मरम्मत कार्य से हाथ खींच लिए थे।
दिन-प्रतिदिन सलापरपुर, मोहबलीपुर, दयोरार, दयानतपुर, मुकीमपुर सिवारा, नंगला हुकुम सिंह, बनबारीवास, मिर्जापुर समेत कई गांवों की खस्ताहाल सड़कें लोगों के लिए परेशानी का कारण बन रही हैं। प्राधिकरण बोर्ड ने इन सड़कों की मरम्मत को मंजूरी दे दी है। यीडा इन सड़कों की मरम्मत करेगा।
लोक निर्माण विभाग की सड़कों की कुल लम्बाई 32.17 किमी है। प्राधिकरण इसकी मरम्मत पर 262.1 मिलियन रुपए खर्च करेगा। आरईएस की सड़क की लंबाई 31.82 किमी है। प्राधिकरण इसकी मरम्मत पर 145.2 मिलियन रुपए खर्च करेगा।
प्राधिकरण बोर्ड ने तीन गांवों के लिए परिधीय सड़क को मंजूरी दी प्राधिकरण बोर्ड ने अकालपुर, म्याना और मकसूदपुर गांवों के लिए परिधीय सड़क को मंजूरी दे दी है। शासन ने किसानों के साथ जनसंख्या विवाद को सुलझाने के लिए गांवों का जनसंख्या सर्वेक्षण कराकर परिधीय सड़क बनाने के निर्देश दिए थे।
इसने सात अन्य गांवों में परिधीय सड़क के लिए सर्वेक्षण की भी अनुमति दे दी है। सीईओ ने बताया कि आबादी क्षेत्र में खाली पड़ी भूमि पर ग्रामीणों के लिए स्कूल, पुस्तकालय, अस्पताल, कॉलेज, बारातघर, कब्रिस्तान आदि विकसित किए जाएंगे।
सात फीसदी आबादी भूखंड की रजिस्ट्री का रास्ता साफ प्राधिकरण में सात फीसदी आबादी भूखंड के अंतर्गत किसानों के लिए न्यूनतम 120 वर्ग मीटर भूखंड का नियम लागू था, जिसे बाद में बदलकर न्यूनतम 40 वर्ग मीटर भूखंड कर दिया गया।
बोर्ड ने पूर्व में किसानों को आवंटित भूखंडों की रजिस्ट्री करने का निर्णय लिया है। इससे किसानों को बड़ी राहत मिली है।
प्रभावित किसानों को मिलेगा अतिरिक्त मुआवजा यमुना प्राधिकरण में मास्टर प्लान से बाहर जमीन खरीदने का घोटाला हुआ था। इन मामलों में कानूनी कार्यवाही चल रही है, लेकिन प्राधिकरण द्वारा खरीदी गई काफी जमीन मास्टर प्लान 2041 में शामिल कर ली गई है तथा सेक्टर की योजना बना ली गई है।
प्राधिकरण बोर्ड ने मास्टर प्लान में पहले से शामिल भूमि से प्रभावित किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा वितरित करने तथा भूमि पर कब्जा लेकर भूखंड योजनाएं शुरू करने का निर्णय लिया है। जो भूमि अभी तक मास्टर प्लान में शामिल नहीं है, उसका मुआवजा नहीं दिया जाएगा।